कक्षा 10 इतिहास पाठ 7 उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद
Chapter Notes सोलहवीं सदी में पुनर्जागरण एवं धर्म सुधार आंदोलन के परिणामस्वरूप यूरोप का राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक जागरण हुआ। इस जागरण से विश्व में आधुनिक युग की शुरुआत हुई जिसका नेतृत्व यूरोप ने किया। अपने तैयार माल को बेचने एवं अपने उद्योगों के लिए कच्चा माल प्राप्त करने के लिए यूरोप के देश एशिया एवं अफ्रीका के विशाल भू-भागों की तरफ आकर्षित हुए व इन भागों पर अपना आर्थिक एवं राजनीतिक आधिपत्य स्थापित करने का प्रयास करने लगे। इसी आधिपत्य के प्रयासों को उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद का नाम दिया जाता है। उपनिवेशवाद – किसी शक्तिशाली देश द्वारा दूसरे निर्बल और गरीब देशों को अपने अधीन लेकर उनसे आर्थिक लाभ उठाने की प्रवृति उपनिवेशवाद कहलाती है। इसका मुख्य आधार वाणिज्यवाद था। इस प्रकार की नीति का अनुसरण यूरोप में सामान्यतः 1500 ई. से 1750 ई. के बीच किया गया। उन्नीसवीं शताब्दी में इसे साम्राज्यवाद नाम दिया गया। इस काल में यूरोप के लोगों ने विश्व के विभिन्न भागों में उपनिवेश बनाये। इस काल में उपनिवेशवाद में विश्वास के मुख्य कारण थे : लाभ कमाने की लालसा। मातृदेश की शक्ति बढ़ाना। मातृदेश ...