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कक्षा 10 इतिहास पाठ 9 स्वतंत्र भारत के 50 वर्ष

Chapter Notes भारत को 15 अगस्त, 1947 ई. को अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त हुई। भारत पर अंग्रेजों ने 190 वर्षों तक शासन किया। भारत की स्वतंत्रता के साथ ही देश का साम्प्रदायिक विभाजन भी हुआ। यह अंग्रेजों की ‘फूट डालो राज करो’ की नीति का परिणाम था। जिन्ना के ‘द्वि-राष्ट्र सिद्धांत’ के कारण देश के बटवारे की मांग की। लेकिन स्वतंत्रता के प्रयास में लगे बड़े-बड़े नेताओं द्वारा साम्प्रदायिकता को कम करके आँका गया। इसी कारण वे देश के विभाजन का अंदाजा नहीं लगा सके। अंत में यही साम्प्रदायिकता भारत के विभाजन का कारण बने। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के पांच दशक के इतिहास का वर्णन निम्न प्रकार से किया जा सकता है : देश का विभाजन – भारत की स्वतंत्रता के साथ ही देश का दुखद विभाजन भी हुआ। देश का विभाजन होने के कारण उत्तर-पश्चिमी सीमान्त क्षेत्र, पश्चिमी पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और पूर्वी बंगाल को मिलाकर पाकिस्तान का निर्माण किया गया। भारत की तरफ से मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा नये बने पाकिस्तान में जाना था। वही पाकिस्तान के हिस्से में गए क्षेत्र से अधिकतर हिन्दुओं, सिक्खों व अन्य को भारत में आना था। यह...

Class 10 History Chapter 9 50 Years of Independent India

Chapter Notes India got its independence from the British on August 15, 1947. Indians had to struggle for hundreds of years for this day. The British ruled India for 190 years. Many patriots had to sacrifice their lives for the attainment of independence. After the independence of India, there was also a communal division of the country. This was the result of the British policy of ‘divide and rule’. Due to Jinnah’s ‘two-nation theory’, the demand for the partition of the country was gaining momentum. But communalism was under estimated by the great leaders engaged in the struggle for independence. That is why they could not guess the partition of the country. In the end, this communalism became the reason for the partition of India. The country had to face many challenges due to the circumstances arising out of the partition. But despite these challenges and other problems, India has achieved many successes. The history of five decades after independence is described as follows: Parti...

कक्षा 10 इतिहास पाठ 8 भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन

Chapter Notes सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत विश्व का एक समृद्ध देश था। 1600 ई. में ब्रिटेन के लालची व्यापारियों ने संयुक्त रूप से एक कंपनी (ईस्ट इंडिया कंपनी) बनाकर भारत से व्यापार की शुरुआत की। अठारहवीं सदी में भारत की राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठाकर ये लालची व्यापारी राजनीतिक सत्ता में परिवर्तित हो गए। अंग्रेजों के ईसाई मत के प्रचार तथा भारतीय धर्म व संस्कृति में अनावश्यक हस्तक्षेप से भी अंग्रेजी शासन के विरुद्ध गहरा असंतोष उत्पन्न हुआ। इसी असंतोष के परिणामस्वरूप भारतीयों में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध कई जन आंदोलन खड़े हुए जिनका वर्णन निम्न प्रकार से है :- 1857 ई. से पूर्व का साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष – 1757 ई. में प्लासी व 1764-65 ई. में बक्सर के युद्ध जीतने के पश्चात् अंग्रेज व्यापारिक सत्ता से राजनीतिक सत्ता बन गए। 1757 ई. से 1857 ई. के बीच लगभग सैकड़ों विद्रोह हुए। 1763 ई.-1800 ई. के बीच ‘वंदे मातरम’ का रणनाद् करते हुए संन्यासियों ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध संघर्ष किया। सभी संघर्षों का परिणाम 1857 ई. की क्रांति में देखने को मिला। 1857 ई. का महान स्वतंत्रता संघर्ष – अंग्रेजो...

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