कक्षा 6 राजनीतिक अध्याय 9 शहरी क्षेत्र में आजीविका
प्रश्न-अभ्यास
1. नीचे लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों की जिंदगी का विवरण दिया गया है। इसे पढ़िए और आपस में चर्चा कीजिए कि लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों के जीवन की क्या स्थिति है?
लेबर चौक पर जो मज़दूर रहते हैं उनमें से ज्यादातर अपने रहने की स्थायी व्यवस्था नहीं कर पाते और इसलिए वे चौक के पास फुटपाथ पर सोते हैं या फिर पास के रात्रि विश्राम गृह (रैन बसेरा) में रहते हैं। इसे नगरनिगम चलाता है और इसमें छः रुपया एक बिस्तर का प्रतिदिन किराया देना पड़ता है। सामान की सुरक्षा का कोई इंतज़ाम न रहने के कारण वे वहाँ के चाय या पान-बीड़ी वालो की दुकानों को बैंक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। उनके पास वे पैसा जमा करते हैं और उनसे उधार भी लेते हैं। वे अपने औज़ारों को रात में उनके पास हिफाजत के लिए छोड़ देते हैं। दुकानदार मजदूरों के सामान की सुरक्षा के साथ ज़रूरत पड़ने पर उन्हें कर्ज भी देते हैं। स्रोत : हिंदू ऑन लाइन, अमन सेठी
उत्तर - लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों के पास स्थायी काम नहीं होता है। वे दिहाड़ी मज़दूर होते हैं और विभिन्न तरह का काम करते हैं; जैसे-मकान बनाने का काम करने वाले राजमिस्त्री, घरों में रंग पेंट करने वाले मिस्त्री, फनीचर का काम करने वाले मिस्त्री, पलम्बर का काम करने वाले, वजन उठाने या खुदाई का काम करने वाले मजदूर इत्यादि।
3. एक स्थायी और नियमित नौकरी अनियमित काम से किस तरह से अलग है?
उत्तर एक स्थायी और नियमित नौकरी करने वाले की एक निश्चित मासिक आय होती है। स्थायी कर्मचारी होने के कारण विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ भी मिलती हैं; जैसे- भविष्य निधि, छुट्टियाँ, परिवार के लिए चिकित्सा सुविधाएँ, मकान या मकान का किराया इत्यादि। काम करने का निश्चित समय और घंटे निश्चित होते हैं, जबकि अनियमित कर्मचारी की मासिक आय निश्चित नहीं होती है। वह जितने दिन काम करता है उतने दिनों का पैसा मिलता है कोई निश्चित छुट्टी नहीं होती है। किसी भी प्रकार की सुविधाएँ नहीं मिलती हैं। काम समय और घंटे निश्चित नहीं होते हैं। काम की भी सुरक्षा नहीं होती है।
4. सुधा को अपने वेतन के अलावा और कौन-से लाभ मिलते हैं?
उत्तर - सुधा को वेतन के अलावा निम्नलिखित लाभ मिलते हैं
4. बच्चू को एक दिन की छुट्टी लेने से पहले भी सोचना पड़ता है। क्यों?
उत्तर बच्चू माँझी रिक्शा चलाकर एक दिन में 80 से 100 रुपये कमा लेता है जिस दिन वह छुट्टी करता है तो उस दिन कमाई नहीं हो पाती है जिससे उसे 80 से 100 रुपये का नुकसान हो जाता है। यदि वह छुट्टी करेगा। तो पैसा बचाकर अपने गाँव परिवार के लिए पैसा भी नहीं भेज पाएगा।
5. वंदना और हरप्रीत ने एक बड़ी दुकान क्यों शुरू की? उनको यह दुकान चलाने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है?
उत्तर - वंदना और हरप्रीत ने एक बड़ी दुकान शुरू की है। इस दुकान पर उन्होंने काम भी बदला है और रेडीमेड कपड़ों की दुकान शुरू की है, क्योंकि आजकल लोग कपड़े सिलवाने की अपेक्षा सिले-सिलाए कपड़े खरीदना पसंद करते हैं। वंदना एक ड्रेस डिजायनर भी है। इस शोरूम को चलाने के लिए उन्हें अलग जगहों पर समान खरीदना पड़ता है। कुछ कपड़े विदेशों से भी मँगवाने पड़ते हैं। शोरूम को सही रूप से चलाने के लिए उन्हें विभिन्न अखबारों में, सिनेमा हॉल में, टेलीविजन और रेडियो चैनल पर विज्ञापन देने पड़ते हैं ताकि लोगों को इसके बारे में पता चले। वे रेडिमेड कपड़ों को आकर्षक रूप से सजाकर रखते हैं।
6. एक बड़ी दुकान के मालिक से बात कीजिए और पता लगाइए कि वे अपने काम की योजना कैसे बनाते हैं? क्या पिछले बीस सालों में उनके काम में कोई बदलाव आया है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-93)
उत्तर - एक बड़ी दुकान के मालिक अपने सामान को अलग-अलग स्थानों से खरीदते हैं ताकि सामान में विभिन्नता आ सके। इसके लिए वह योजना बनाते हैं किन-किन स्थानों से सामान खरीदना है ताकि ग्राहकों को विविधता उपलब्ध कराई जा सके। वे अपने सामान के विषय में विभिन्न माध्यमों से विज्ञापन भी देते हैं ताकि अधिक-से-अधिक लोगों को अपनी दुकान के बारे में जानकारी दे सकें। पिछले बीस वर्षों में उनके काम में काफी बदलाव आया है ग्राहकों की संख्या बढ़ी है तथा ग्राहकों की पसंद में बदलाव आया है दुकानों की संख्या बढ़ी है, दुकानों के बीच प्रतियोगिता बढ़ी है।
7. जो बाज़ार में समान बेचते हैं और जो सड़कों पर सामान बेचते हैं, उनमें क्या अंतर है?
उत्तर -
बाजार में सामान बेचने वाले –
उत्तर - फैक्ट्रियाँ या छोटे कारखाने मजदूरों को अनियमित काम पर इसलिए रखते हैं ताकि उन्हें अधिक-से अधिक लाभ हो सके। जब मालिक को बहुत सारा काम मिलता है या फिर किसी विशेष मौसम में काम मिलता है तो उन्हें कारीगरों या मज़दूरों की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में वे उन्हें काम पर रख लेते हैं और जब काम की कमी होती है तो उन्हें हटा दिया जाता है।
9. निर्मला जैसे मजदूरों की काम करने की परिस्थितियों का निम्न के आधार पर विवरण दीजिए, काम के घंटे, कमाई, काम करने की जगह व सुविधाएँ, साल भर में रोजगार के दिनों की संख्या।
उत्तर - निर्मला जैसे मजदूरों की काम करने की परिस्थितियाँ –
1. नीचे लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों की जिंदगी का विवरण दिया गया है। इसे पढ़िए और आपस में चर्चा कीजिए कि लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों के जीवन की क्या स्थिति है?
लेबर चौक पर जो मज़दूर रहते हैं उनमें से ज्यादातर अपने रहने की स्थायी व्यवस्था नहीं कर पाते और इसलिए वे चौक के पास फुटपाथ पर सोते हैं या फिर पास के रात्रि विश्राम गृह (रैन बसेरा) में रहते हैं। इसे नगरनिगम चलाता है और इसमें छः रुपया एक बिस्तर का प्रतिदिन किराया देना पड़ता है। सामान की सुरक्षा का कोई इंतज़ाम न रहने के कारण वे वहाँ के चाय या पान-बीड़ी वालो की दुकानों को बैंक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। उनके पास वे पैसा जमा करते हैं और उनसे उधार भी लेते हैं। वे अपने औज़ारों को रात में उनके पास हिफाजत के लिए छोड़ देते हैं। दुकानदार मजदूरों के सामान की सुरक्षा के साथ ज़रूरत पड़ने पर उन्हें कर्ज भी देते हैं। स्रोत : हिंदू ऑन लाइन, अमन सेठी
उत्तर - लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों के पास स्थायी काम नहीं होता है। वे दिहाड़ी मज़दूर होते हैं और विभिन्न तरह का काम करते हैं; जैसे-मकान बनाने का काम करने वाले राजमिस्त्री, घरों में रंग पेंट करने वाले मिस्त्री, फनीचर का काम करने वाले मिस्त्री, पलम्बर का काम करने वाले, वजन उठाने या खुदाई का काम करने वाले मजदूर इत्यादि।
स्थायी काम न होने के कारण गरीबी में जीवन व्यतीत करते हैं। इनके रहने और खाने की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होती है और जिसे काम नहीं मिलता है उसे पूरा दिन लेबर चौक पर ही बैठे रहना पड़ता है और शाम को खाने के लिए उधार लेना पड़ता है और जब कई दिनों तक लगातार काम नहीं मिलता है तो कभी-कभी भूखे पेट भी सोना पड़ता है।
इनके साथ कार्य स्थलों पर अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है। निश्चित समय से अधिक समय तक काम करवाया जाता है और सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से कम मज़दूरी दी जाती है। इस प्रकार इनका जीवन काफी कठिन होता है।
2. निम्नलिखित तालिका को पूरा कीजिए और उनका काम किस तरह से अलग है इसका वर्णन कीजिए।
2. निम्नलिखित तालिका को पूरा कीजिए और उनका काम किस तरह से अलग है इसका वर्णन कीजिए।
उत्तर -
नाम कार्य स्थान आय
बच्चू मांझी साइकिल- रिक्शा चालक सड़क 100 रुपये प्रतिदिन
हरप्रीत वंदना गारमेंट्स शोरूम अच्छी कमाई
निर्मला गारमेंट फैक्ट्री में आठ घंटे तक प्रतिदिन 80 रुपये और देर तक काम करने पर 40 रुपये अतिरिक्त।
सुधा कंपनी 30,000 रुपये प्रति माह
नाम कार्य की सुरक्षा प्राप्त लाभ स्वयं का कार्य या रोज़गार
बच्चू मांझी कोई सुरक्षा नहीं कोई लाभ नहीं मिला स्वयं काम करें
हरप्रीत,वंदना हाँ, व्यापार करने का लाइसेंस व्यापार में वृद्धि अपने दम पर काम करें
निर्मला गारमेंट कोई सुरक्षा नहीं ओवरटाइम काम के लिए 40 रुपये रोज़गार
सुधा ने सुरक्षित चिकित्सा सुविधाएं, सवैतनिक छुट्टियाँ, बुढ़ापे के लिए बचत और कई लाभ प्राप्त किए रोज़गार
3. एक स्थायी और नियमित नौकरी अनियमित काम से किस तरह से अलग है?
उत्तर एक स्थायी और नियमित नौकरी करने वाले की एक निश्चित मासिक आय होती है। स्थायी कर्मचारी होने के कारण विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ भी मिलती हैं; जैसे- भविष्य निधि, छुट्टियाँ, परिवार के लिए चिकित्सा सुविधाएँ, मकान या मकान का किराया इत्यादि। काम करने का निश्चित समय और घंटे निश्चित होते हैं, जबकि अनियमित कर्मचारी की मासिक आय निश्चित नहीं होती है। वह जितने दिन काम करता है उतने दिनों का पैसा मिलता है कोई निश्चित छुट्टी नहीं होती है। किसी भी प्रकार की सुविधाएँ नहीं मिलती हैं। काम समय और घंटे निश्चित नहीं होते हैं। काम की भी सुरक्षा नहीं होती है।
4. सुधा को अपने वेतन के अलावा और कौन-से लाभ मिलते हैं?
उत्तर - सुधा को वेतन के अलावा निम्नलिखित लाभ मिलते हैं
रविवार और राष्ट्रीय अवकाश छुट्टियाँ।
वार्षिक छुट्टियाँ।
परिवार के लिए चिकित्सा सुविधाएँ और बीमार होने पर चिकित्सा अवकाश।
भविष्य निधि की सुविधा।
5. नीचे दी गई तालिका में अपने परिचित बाज़ार की दुकानों या दफ्तरों के नाम भरें कि वे किस प्रकार की चीजें या सेवाएँ मुहैया कराते हैं?
वार्षिक छुट्टियाँ।
परिवार के लिए चिकित्सा सुविधाएँ और बीमार होने पर चिकित्सा अवकाश।
भविष्य निधि की सुविधा।
5. नीचे दी गई तालिका में अपने परिचित बाज़ार की दुकानों या दफ्तरों के नाम भरें कि वे किस प्रकार की चीजें या सेवाएँ मुहैया कराते हैं?
उत्तर - स्वयं करें
Internal Questions
1. बच्चू माँझी शहर क्यों आया था?
उत्तर - बच्चू माँझी शहर में काम की तलाश में आया है। गाँव में वह मिस्त्री का काम करता था, परंतु उसे नियमित रूप से काम नहीं मिलता था जो कमाई होती थी वह परिवार के लिए पूरी नहीं पड़ती थी।
2. बच्चू अपने परिवार के साथ क्यों नहीं रह सकता?
उत्तर बच्चू माँझी गाँव से शहर में आया था और उसका परिवार गाँव में ही रहता था, इसलिए वह अपने परिवार के साथ नहीं रह सकता था।
3. किसी सब्ज़ी बेचने वाली या ठेले वाले से बात करिए और पता लगाइए कि वे अपना काम कैसे करते हैं-तैयारी, खरीदना, बेचना इत्यादि।
उत्तर - सब्ज़ी बेचने वाले सुबह-सुबह थोक की मंडी से सब्जी खरीदकर लाते हैं। वे ज्यादा-से-ज्यादा प्रकार की सब्ज़ियाँ प्राप्त करने की कोशिश करते हैं ताकि सभी प्रकार के ग्राहकों की आवश्यकता को पूरा कर सके।
Internal Questions
1. बच्चू माँझी शहर क्यों आया था?
उत्तर - बच्चू माँझी शहर में काम की तलाश में आया है। गाँव में वह मिस्त्री का काम करता था, परंतु उसे नियमित रूप से काम नहीं मिलता था जो कमाई होती थी वह परिवार के लिए पूरी नहीं पड़ती थी।
2. बच्चू अपने परिवार के साथ क्यों नहीं रह सकता?
उत्तर बच्चू माँझी गाँव से शहर में आया था और उसका परिवार गाँव में ही रहता था, इसलिए वह अपने परिवार के साथ नहीं रह सकता था।
3. किसी सब्ज़ी बेचने वाली या ठेले वाले से बात करिए और पता लगाइए कि वे अपना काम कैसे करते हैं-तैयारी, खरीदना, बेचना इत्यादि।
उत्तर - सब्ज़ी बेचने वाले सुबह-सुबह थोक की मंडी से सब्जी खरीदकर लाते हैं। वे ज्यादा-से-ज्यादा प्रकार की सब्ज़ियाँ प्राप्त करने की कोशिश करते हैं ताकि सभी प्रकार के ग्राहकों की आवश्यकता को पूरा कर सके।
वे गली-गली आवाज लगाकर सब्ज़ियाँ बेचते हैं और शाम तक अपनी सारी सब्ज़ियाँ बेचने का प्रयास करते हैं।
4. बच्चू को एक दिन की छुट्टी लेने से पहले भी सोचना पड़ता है। क्यों?
उत्तर बच्चू माँझी रिक्शा चलाकर एक दिन में 80 से 100 रुपये कमा लेता है जिस दिन वह छुट्टी करता है तो उस दिन कमाई नहीं हो पाती है जिससे उसे 80 से 100 रुपये का नुकसान हो जाता है। यदि वह छुट्टी करेगा। तो पैसा बचाकर अपने गाँव परिवार के लिए पैसा भी नहीं भेज पाएगा।
5. वंदना और हरप्रीत ने एक बड़ी दुकान क्यों शुरू की? उनको यह दुकान चलाने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है?
उत्तर - वंदना और हरप्रीत ने एक बड़ी दुकान शुरू की है। इस दुकान पर उन्होंने काम भी बदला है और रेडीमेड कपड़ों की दुकान शुरू की है, क्योंकि आजकल लोग कपड़े सिलवाने की अपेक्षा सिले-सिलाए कपड़े खरीदना पसंद करते हैं। वंदना एक ड्रेस डिजायनर भी है। इस शोरूम को चलाने के लिए उन्हें अलग जगहों पर समान खरीदना पड़ता है। कुछ कपड़े विदेशों से भी मँगवाने पड़ते हैं। शोरूम को सही रूप से चलाने के लिए उन्हें विभिन्न अखबारों में, सिनेमा हॉल में, टेलीविजन और रेडियो चैनल पर विज्ञापन देने पड़ते हैं ताकि लोगों को इसके बारे में पता चले। वे रेडिमेड कपड़ों को आकर्षक रूप से सजाकर रखते हैं।
6. एक बड़ी दुकान के मालिक से बात कीजिए और पता लगाइए कि वे अपने काम की योजना कैसे बनाते हैं? क्या पिछले बीस सालों में उनके काम में कोई बदलाव आया है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-93)
उत्तर - एक बड़ी दुकान के मालिक अपने सामान को अलग-अलग स्थानों से खरीदते हैं ताकि सामान में विभिन्नता आ सके। इसके लिए वह योजना बनाते हैं किन-किन स्थानों से सामान खरीदना है ताकि ग्राहकों को विविधता उपलब्ध कराई जा सके। वे अपने सामान के विषय में विभिन्न माध्यमों से विज्ञापन भी देते हैं ताकि अधिक-से-अधिक लोगों को अपनी दुकान के बारे में जानकारी दे सकें। पिछले बीस वर्षों में उनके काम में काफी बदलाव आया है ग्राहकों की संख्या बढ़ी है तथा ग्राहकों की पसंद में बदलाव आया है दुकानों की संख्या बढ़ी है, दुकानों के बीच प्रतियोगिता बढ़ी है।
7. जो बाज़ार में समान बेचते हैं और जो सड़कों पर सामान बेचते हैं, उनमें क्या अंतर है?
उत्तर -
बाजार में सामान बेचने वाले –
- बाजार में सामान बेचने के लिए छोटी तथा बड़ी दुकानें होती हैं।
- बाज़ार में दुकानें पक्की होती है जिनके पास व्यापार करने का लाइसेंस होता है।
- बाज़ार में दुकानों पर अलग-अलग चीजें बेची जाती हैं।
- ज्यादातर व्यापारी अपनी दुकान खुद सँभालते हैं और कभी-कभी वे कई लोगों को सहायक या मैनेजर के रूप में भी रख लेते हैं।
- सड़क पर सामान बेचने वालों की दुकान खंभों पर तिरपाल या प्लास्टिक चढ़ाकर बनाई जाती है। यह अस्थायी दुकान होती है।
- ये अपने ठेले या सड़क की पटरी पर प्लास्टिक बिछाकर भी काम चलाते हैं।
- सड़कों पर बनी इन अस्थायी दुकानों को पुलिस कभी भी हटाने के लिए कह सकती है।
- सड़क पर सामान बेचने वाले स्वयं अपने परिवार के साथ मिलकर सामान बनाते हैं या स्थानीय रूप से ही यह सामान बनाया जाता है।
उत्तर - फैक्ट्रियाँ या छोटे कारखाने मजदूरों को अनियमित काम पर इसलिए रखते हैं ताकि उन्हें अधिक-से अधिक लाभ हो सके। जब मालिक को बहुत सारा काम मिलता है या फिर किसी विशेष मौसम में काम मिलता है तो उन्हें कारीगरों या मज़दूरों की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में वे उन्हें काम पर रख लेते हैं और जब काम की कमी होती है तो उन्हें हटा दिया जाता है।
9. निर्मला जैसे मजदूरों की काम करने की परिस्थितियों का निम्न के आधार पर विवरण दीजिए, काम के घंटे, कमाई, काम करने की जगह व सुविधाएँ, साल भर में रोजगार के दिनों की संख्या।
उत्तर - निर्मला जैसे मजदूरों की काम करने की परिस्थितियाँ –
काम के घंटे – मजदूरों को सुबह 9 बजे से रात के 10 बजे तक काम करना पड़ता है। उनके काम के घंटे अधिक होते हैं। उन्हें सप्ताह में छः दिन काम करना पड़ता है और यदि काम अधिक है तो रविवार को भी काम करना पड़ता है।
कमाई – रोजना आठ घंटे काम करने के 80 रुपये मिलते हैं और अतिरिक्त 40 रुपये देर तक काम करने का मिलता है।
काम करने की जगह व सुविधाएँ – लोग छोटे से कमरे में मशीनों पर काम करते हैं। उन्हें किसी भी प्रकार की सुविधाएँ नहीं प्राप्त होती हैं। अगर कारीगर परिस्थितियों के बारे में शिकायत करते हैं तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। अगर कोई बुरा व्यवहार करे तो उनके बचाव के लिए कुछ नहीं होता है।
सालभर में रोजगार के दिनों की संख्या – अधिकतर कारीगर या मज़दूर अनियमित रूप से काम करते हैं। सालभर में करीब 8 महीने उनके पास काम होता है बाकी के करीब 4 महीने उनके पास काम नहीं रहता है।
10. क्या आप यह मानेंगे कि दूसरों के घरों में काम करने वाली महिलाएँ भी अनियमित मज़दूरों की श्रेणी में आती हैं, क्यों? एक ऐसी कामगार महिला के दिनभर के काम का विवरण दीजिए।
उत्तर - दूसरों के घरों में काम करने वाली महिलाएँ भी अनियमित मजदूरों की श्रेणी में आती हैं, क्योंकि उन्हें कभी भी हटाया जा सकता है, या बदला जा सकता है। कामगार महिलाएँ लोगों के घरों में काम करने आती हैं। और वे सारा काम सँभालती है; जैसे-घर की सफाई, कपड़े धोना, खाना बनाना, बर्तन धोना आदि। दोपहर में अधिक काम न होने के कारण वे आराम कर सकती हैं। सारा काम लगभग रात 10 बजे खत्म होता है।
कमाई – रोजना आठ घंटे काम करने के 80 रुपये मिलते हैं और अतिरिक्त 40 रुपये देर तक काम करने का मिलता है।
काम करने की जगह व सुविधाएँ – लोग छोटे से कमरे में मशीनों पर काम करते हैं। उन्हें किसी भी प्रकार की सुविधाएँ नहीं प्राप्त होती हैं। अगर कारीगर परिस्थितियों के बारे में शिकायत करते हैं तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। अगर कोई बुरा व्यवहार करे तो उनके बचाव के लिए कुछ नहीं होता है।
सालभर में रोजगार के दिनों की संख्या – अधिकतर कारीगर या मज़दूर अनियमित रूप से काम करते हैं। सालभर में करीब 8 महीने उनके पास काम होता है बाकी के करीब 4 महीने उनके पास काम नहीं रहता है।
10. क्या आप यह मानेंगे कि दूसरों के घरों में काम करने वाली महिलाएँ भी अनियमित मज़दूरों की श्रेणी में आती हैं, क्यों? एक ऐसी कामगार महिला के दिनभर के काम का विवरण दीजिए।
उत्तर - दूसरों के घरों में काम करने वाली महिलाएँ भी अनियमित मजदूरों की श्रेणी में आती हैं, क्योंकि उन्हें कभी भी हटाया जा सकता है, या बदला जा सकता है। कामगार महिलाएँ लोगों के घरों में काम करने आती हैं। और वे सारा काम सँभालती है; जैसे-घर की सफाई, कपड़े धोना, खाना बनाना, बर्तन धोना आदि। दोपहर में अधिक काम न होने के कारण वे आराम कर सकती हैं। सारा काम लगभग रात 10 बजे खत्म होता है।
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